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कोरबा महापौर राज किशोर प्रसाद का जाति प्रमाण पत्र निकला फर्जी..

कोरबा : कोरबा नगर पालिक निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद का जाति प्रमाणपत्र फर्जी प्रमाणित हो गया है। नगर पालिक निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को आदिमजाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया है। पूर्व राजस्व मंत्री ने अपनी चतुराई दिखाते कइयों योग्य महापौर के दावेदारों को दरकिनार कर पोपेट मेयर को कुर्सी पर बैठाया। राजस्व मंत्री होने के प्रभाव का ही यह नतीजा था कि ऐन निकाय चुनाव के समय चंद दिनों में जाति प्रमाणपत्र बनवा लिया गया। नगर सरकार की कुर्सी पर राजकिशोर बैठे और उसका नियंत्रण पूरा जयसिंह के हाथ मे था यही वजह है कि पिछले 10 साल से निगम क्षेत्र की जनता त्राहि माम् कर रही है। अपने राजनैतिक प्रभाव के कारण पिछली सरकार में इस मामले की पहले दिन से शिकायत होने पर भी 4 साल तक जांच तक नहीं कराई गई लेकिन साय सरकार ने इस पर सांय सांय काम किया और दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। अब इस मुश्किल के बाद महापौर की कुर्सी गो जाएगी ही साथ ही अगर सरकार ने नज़रे टेढ़ी की तो जेल भी जाना पड़ सकता है। नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने महापौर रहते ली गई सुविधाओं की रिकवरी तक कराने की मांग की है। इस प्रमाणपत्र को बनाने में कितनी फुर्ती दिखाई गई इसका अंदाजा इससे ही लगता है कि तहसीलदार ने 5 दिसम्बर को अस्थायी प्रमाणपत्र जारी किया और 6 दिसम्बर को ही एसडीएम ने स्थायी प्रमाणपत्र दे दिया। तब से ही इसकी शिकायत हो रही है।

बता दें कि एसडीएम कोरबा ने 6 दिसम्बर 2019 को राजकिशोर प्रसाद के पक्ष में ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र जारी किया था। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जब सभी साक्ष्य और गवाहों के बयान के बाद प्रमाणपत्र निरस्त कर आगे की कार्रवाई के लिए कलेक्टर और डीएसपी को पत्राचार किया है।


Suraj Tandekar

Chief Editor

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