तलाक के बाद महिला की दूसरी शादी का सबूत जब तक नहीं मिलता, तब तक पति को देना होगा गुजारा भत्ता… छत्तीसगढ़ HC का फैसला
The bhart time’s news 24 :-छत्तीसगढ़ में तलाक के एक केस (Divorce Case) में महिला ने गुजारा भत्ता के लिए आवेदन किया था। फैमिली कोर्ट (Family Court) ने इसके पक्ष में फैसला दिया तो पति ने हाई कोर्ट (CG High Court) का दरवाजा खटखटाया। पति की दलील थी कि महिला अपनी मर्जी से ससुराल छोड़कर गई है, इसलिए वह गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं है।

बिलासपुर (Chhattisgarh High Court): छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैमली कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए कहा है कि पुनर्विवाह का प्रमाण नहीं देने तक तलाकशुदा महिला गुजारे भत्ते की हकदार है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आपसी सहमति से तलाक हो जाने के बाद भी पत्नी, जब तक वह पुनर्विवाहित नहीं हो जाती और खुद का पालन-पोषण करने में सक्षम नहीं होती, तब तक पति को उसे भरण-पोषण देना होगा। यह फैसला न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पारित किया।
तलाक के बाद महिला की दूसरी शादी का सबूत जब तक नहीं मिलता, तब तक पति को देना होगा गुजारा भत्ता… छत्तीसगढ़ HC का फैसला
छत्तीसगढ़ में तलाक के एक केस (Divorce Case) में महिला ने गुजारा भत्ता के लिए आवेदन किया था। फैमिली कोर्ट (Family Court) ने इसके पक्ष में फैसला दिया तो पति ने हाई कोर्ट (CG High Court) का दरवाजा खटखटाया। पति की दलील थी कि महिला अपनी मर्जी से ससुराल छोड़कर गई है, इसलिए वह गुजारा
तलाक के बाद महिला की दूसरी शादी का सबूत जब तक नहीं मिलता, तब तक पति को देना होगा गुजारा भत्ता… छत्तीसगढ़ HC का फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला, कोर्ट ने पति की आपत्ति खारिज की
फैमिली कोर्ट का फैसला HC ने रखा बहाल
जून 2020 में मुंगेली जिले में हुई थी शादी
महिला का आरोप- दहेज के लिए परेशान किया
बिलासपुर (Chhattisgarh High Court): छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैमली कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए कहा है कि पुनर्विवाह का प्रमाण नहीं देने तक तलाकशुदा महिला गुजारे भत्ते की हकदार है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आपसी सहमति से तलाक हो जाने के बाद भी पत्नी, जब तक वह पुनर्विवाहित नहीं हो जाती और खुद का पालन-पोषण करने में सक्षम नहीं होती, तब तक पति को उसे भरण-पोषण देना होगा। यह फैसला न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पारित किया।
शादी, तलाक और कोर्ट केस की कहानी
मुंगेली जिले के एक युवक और युवती की शादी 12 जून 2020 को हुई थी। विवाह के कुछ समय बाद महिला ने आरोप लगाया कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया और घर से निकाल दिया गया।
27 जून 2023 को महिला ने मुंगेली के फैमिली कोर्ट में ₹15,000 प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग करते हुए आवेदन दायर किया। उसने बताया कि उसका पति ट्रक ड्राइवर है और खेती से भी सालाना दो लाख रुपए कमाता है।
युवक ने कोर्ट में दावा किया कि पत्नी बिना कारण ससुराल छोड़ चुकी है और दोनों का आपसी सहमति से तलाक 20 फरवरी 2023 को हो चुका है। इसलिए वह किसी भी भत्ते की हकदार नहीं है।
फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों पर विचार करते हुए अक्टूबर 2023 में महिला को ₹3,000 प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश दिया। पति ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां याचिका खारिज हो गई।