Korba

तानाशाही कर रही एनटीपीसी: भूविस्थापितों ने बयां किया अपना दर्द, कहा- नौकरी व मुआवजे के नाम पर किया गया गुमराह

एनटीपीसी भूविस्थापितों ने आमरण अनशन के संबंध में प्रेस वार्ता की। भूविस्थापितों का कहना है कि मुआवजा और नौकरी के नाम पर उन्हें गुमराह किया गया, ऐसे में मजबूर होकर उन्हें आमरण अनशन करना पड़ा।

कोरबा में एनटीपीसी भूविस्थापितों ने अनिश्चितकालीन आमरण अनशन के संबंध में तानसेन चौक पर प्रेस वार्ता की। इस दौरान भूविस्थापितों ने कहा कि वह नौकरी व मुआवजा को लेकर एनटीपीसी व जिला प्रशासन ने झूठे आश्वासन दिया है। इसके निवारण के लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं। भूविस्थापितों का कहना है एनटीपीसी ने नौकरी व मुआवजा को लेकर लिखित में पत्र जारी नहीं किया है, ऐसे में मजबूर होकर आमरण अनशन करना पड़ा है।

सन् 1978-79 में चारपारा गांव की जमीन एनटीपीसी कोरबा व भू-अर्जन बिलासपुर के माध्यम से अधिग्रहण की गई थी। 1980-1986 तक एनटीपीसी कोरबा के द्वारा और भू अर्जन अधिकारी बिलासपुर एवं भू अर्जन अधिकारी कोरबा के द्वारा ग्राम चारपारा के कुछ किसानों को शेष मुआवजा नहीं दिया गया। ग्राम चारपारा की संपूर्ण जमीन लगभग 1000 एकड़ भूमि को एनटीपीसी कोरबा के द्वारा अधिग्रहण किया गया है। 650 एकड़ भूमि का मुआवजा दिया गया है, बाकी शेष भूमि का मुआवजा बाकी है।

चार सितंबर 1979 में एक सूचना जारी की गई, जिसमें बताया गया कि प्रत्येक परिवार को क्रमिक रूप से रोजगार प्रदान किया जाएगा। 1981 में बिलासपुर कलेक्टर के द्वारा अभिलंब नौकरी देने के लिए एग्रीमेंट किया। एनटीपीसी प्रबंधक 1987 में आम सूचना अनुसार, सीपत बिलासपुर के 33 भूविस्थापितों को ट्रेनिंग कराकर भर्ती किया। ग्राम चारपारा के भूस्थापित राजन कुमार पटेल घसियारामकेवट मथुरा कुमार केवट रामायण प्रसाद केवट शुभम केवट आमरण अनशन पर हैं। पूर्व कलेक्टर संजीव कुमार झा ने कहा कि पात्रता रखते हैं तो नौकरी दी जाएगी। जमीन की जांच की जाएगी।

एनटीपीसी के भूस्थापित लगभग 40 वर्षों से लगातार नौकरी व मुआवजा के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी वह बुजुर्ग हो चुके हैं। उनके वारिस 22 अप्रैल 2023 आईटीआई रामपुर चौक के पास 93 दिन तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहे। निराकरण नहीं होने पर दिनांक 24 जुलाई 2023 को एनटीपीसी गेटबंदी करने गए गेट पर सांकेतिक प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन व एनटीपीसी प्रबंधक ने आश्वासन देकर गुमराह किया।


Suraj Tandekar

Chief Editor

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